दोस्तों, आज मैं बड़े दिनों के बाद मंदिर आया हूँ , विश्वास था की भगवान के दर्शन होंगे, मन हल्का और खुश हो जाएगा,और हुआ भी, सब हुआ बस मन हल्का नहीं हुआ, क्योंकि ये मुझे मालूम है की लोग यहाँ कुछ ना कुछ मांगने आये हैं अपनी समस्याओं को सुलझाने की कामना करने के लिए आये हैं, बड़ी आस लेकर आये हैं। मुझे भी कुछ समस्या है लेकिन क्या मांग लेने से समस्या दूर हो जाएगी-शायद नहीं।
जरा सोचिए कि:-
◆क्या ये काफी नहीं कि हमें इंसान का जीवन मिला है,
◆क्या ये काफी नहीं कि हमारा स्वास्थ अच्छा है,
◆क्या ये काफी नहीं की हमारे सगे सम्बन्धी हमारे साथ हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि कुछ लोग हमें सच्चे दिल से प्यार करते हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि जिसे हम कभी कभी दुःखी कर देते हैं फिर वो हमसे अटूट विश्वास बनाये हुए हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि हम हंस,बोल और चल सकते हैं,
◆क्या ये काफी नहीं की हमारा कोई गुरु है जो बिना किसी स्वार्थ के हमें आगे बढ़ने के बारे में सोचते हैं,
◆अरे क्या ये काफी नहीं की शाम में देर से घर जाने पर माँ इन्तेजार करती है,
◆क्या ये काफी नहीं कि उदास होने पर कुछ दोस्त मजाक उड़ा कर सब कुछ भुला देते हैं,
◆ क्या ये काफी नहीं कि हमारी हर छोटी बड़ी गलती को छुपाने के लिए हमारी बहन हमेशा साथ देती है,
◆ क्या ये काफी नहीं कि कोई हमें बेइंतहां प्यार करता है चाहे कितनी भी कमियां क्यों ना हों हमारी।
सच्चे दिल से अपनी आत्मा की आवाज सुनकर ये बताइये क्या अब भी हमें भगवान से कुछ मांगने की जरूरत है या सच्चे दिल से धन्यवाद बोलने की जरूरत है।
●क्या आज हम अपने भगवान से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगे,
●क्या आज हम अपने भगवान को याद करके उनसे भी सच्चे दिल से माफी मांग लें जिसका कभी दिल दुखाये हों,
●क्या आज हम खुद से खुद के लिए माफी मांग लें,
●क्या आज हम आज आराम सर बैठकर खुद के खुद का हाल चाल पूछें,
● क्या आज हम खुद को ढूंढ लें जिसे कहीं भूल गए हैं,
दोस्तों एक बात जरा गौर से सोचिये की अगर सच में भगवान आपके सामने आ जाएँ और आपको कुछ मांगना हो तो क्या मांगोगे, शायद शब्द नहीं हैं आपके पास, कुछ समझ में नहीं आएगा क्या मांगे? क्या बोलें? क्या कहें? लेकिन फिर भी मंदिर में मांगते ही हैं, ईश्वर भी सोचते होंगे क्या बना कर भेजा था, सब कुछ तो दिया जो ये सहन कर सकता है फिर भी परेशान है और अगर कुछ और पाने की इच्छा है तो अपनी योग्यता ना बढाकर मुझसे मांगने ही आया है।
दोस्त शुक्रियादा करें उस भगवान का जिसने हमें इतना कुछ दिया है। और मांगना है तो ये क्यों ना मांगे की :-
●भगवान हमें शक्ति दीजिये की आज मेरे मुख से कुछ भी ऐसा ना निकले की जिससे किसी को ठेस पहुंचे।
●भगवान हमें वो शक्ति दें जिससे हम खुद को और इस समाज को एक नई दिशा दे सकें।
● भगवान हमें शक्ति दीजिये की हम जीते जी और इस दुनिया से जाने के बाद भी किसी के काम आ सकें।
हमें कृतज्ञ होना चाहये उस ईश्वर के लिए जिसके वजह से हम सब है। कहते हैं ना की ऊपर वाले की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता तो हम क्या चीज हैं ।
"जो भी मैं लिखा हूँ ये मेरी भावनाये हैं ,मेरी अपनी विचारधारा है,मेरा इरादा किसी के भावनाओ को ठेस पहुंचाने का नहीं है। अगर आपको कुछ गलत लगे तो माफ् कीजिएगा क्योकिं मैं ये सारी बातें अपने दिल के आवाज़ पर लिखा हूँ।"
जरा सोचिए कि:-
◆क्या ये काफी नहीं कि हमें इंसान का जीवन मिला है,
◆क्या ये काफी नहीं कि हमारा स्वास्थ अच्छा है,
◆क्या ये काफी नहीं की हमारे सगे सम्बन्धी हमारे साथ हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि कुछ लोग हमें सच्चे दिल से प्यार करते हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि जिसे हम कभी कभी दुःखी कर देते हैं फिर वो हमसे अटूट विश्वास बनाये हुए हैं,
◆क्या ये काफी नहीं कि हम हंस,बोल और चल सकते हैं,
◆क्या ये काफी नहीं की हमारा कोई गुरु है जो बिना किसी स्वार्थ के हमें आगे बढ़ने के बारे में सोचते हैं,
◆अरे क्या ये काफी नहीं की शाम में देर से घर जाने पर माँ इन्तेजार करती है,
◆क्या ये काफी नहीं कि उदास होने पर कुछ दोस्त मजाक उड़ा कर सब कुछ भुला देते हैं,
◆ क्या ये काफी नहीं कि हमारी हर छोटी बड़ी गलती को छुपाने के लिए हमारी बहन हमेशा साथ देती है,
◆ क्या ये काफी नहीं कि कोई हमें बेइंतहां प्यार करता है चाहे कितनी भी कमियां क्यों ना हों हमारी।
सच्चे दिल से अपनी आत्मा की आवाज सुनकर ये बताइये क्या अब भी हमें भगवान से कुछ मांगने की जरूरत है या सच्चे दिल से धन्यवाद बोलने की जरूरत है।
●क्या आज हम अपने भगवान से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगे,
●क्या आज हम अपने भगवान को याद करके उनसे भी सच्चे दिल से माफी मांग लें जिसका कभी दिल दुखाये हों,
●क्या आज हम खुद से खुद के लिए माफी मांग लें,
●क्या आज हम आज आराम सर बैठकर खुद के खुद का हाल चाल पूछें,
● क्या आज हम खुद को ढूंढ लें जिसे कहीं भूल गए हैं,
दोस्तों एक बात जरा गौर से सोचिये की अगर सच में भगवान आपके सामने आ जाएँ और आपको कुछ मांगना हो तो क्या मांगोगे, शायद शब्द नहीं हैं आपके पास, कुछ समझ में नहीं आएगा क्या मांगे? क्या बोलें? क्या कहें? लेकिन फिर भी मंदिर में मांगते ही हैं, ईश्वर भी सोचते होंगे क्या बना कर भेजा था, सब कुछ तो दिया जो ये सहन कर सकता है फिर भी परेशान है और अगर कुछ और पाने की इच्छा है तो अपनी योग्यता ना बढाकर मुझसे मांगने ही आया है।
दोस्त शुक्रियादा करें उस भगवान का जिसने हमें इतना कुछ दिया है। और मांगना है तो ये क्यों ना मांगे की :-
●भगवान हमें शक्ति दीजिये की आज मेरे मुख से कुछ भी ऐसा ना निकले की जिससे किसी को ठेस पहुंचे।
●भगवान हमें वो शक्ति दें जिससे हम खुद को और इस समाज को एक नई दिशा दे सकें।
● भगवान हमें शक्ति दीजिये की हम जीते जी और इस दुनिया से जाने के बाद भी किसी के काम आ सकें।
हमें कृतज्ञ होना चाहये उस ईश्वर के लिए जिसके वजह से हम सब है। कहते हैं ना की ऊपर वाले की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता तो हम क्या चीज हैं ।
"जो भी मैं लिखा हूँ ये मेरी भावनाये हैं ,मेरी अपनी विचारधारा है,मेरा इरादा किसी के भावनाओ को ठेस पहुंचाने का नहीं है। अगर आपको कुछ गलत लगे तो माफ् कीजिएगा क्योकिं मैं ये सारी बातें अपने दिल के आवाज़ पर लिखा हूँ।"