Wednesday, November 18, 2020

How to talk with a person in business ?


        


Business में हमें हमेशा नये लोगों से मिलना होता है, कुछ Deals पूरे होते हैं कुछ नहीं होते। कभी कभी तो ऐसा होता है कि कोई भी Deal पूरा नहीं होता,  लोग हमारे साथ नहीं जुड़ते लेकिन उसी काम के लिए किसी और से जुड़ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है ये सोचने वाली बात है। 


होता ये है कि जब Deal पूरी नहीं होती तो उसके पीछे हमारे बात चीत करने के तरीका कैसा था,  उस पर निर्भर करता है। 

Business Talk का एक अलग तरीका होता है, कुछ Steps Follow करने होते हैं अगर हम इस Steps को Follow करें तो Deal पूरी होने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ सकती है। 

◆ जब किसी से बात करें तो सामने वाले को महसूस होना चाहिए कि आप उस Field के बेहतरीन इंसान हैं जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं।

◆ सामने वाले को बिल्कुल  Comfortable महसूस होना चाहिए,

◆ सामने वाले के किसी Problem को Solve करने की दिशा में बात करें, उसे लगना चाहिए आपके साथ जुड़ने पर उसकी कोई बड़ी समस्या सुलझाने वाली है।

◆ सामने वाले के किसी Emotional Point को जरूर छुएँ वो भी इस प्रकार से की उसे बुरा न लगे।

◆ सामने वाले को एक Question दे कर बात किlose कर दें। 

ये 5 Step Formula अगर हम Apply करें तो अपने Business में, एक नई ऊंचाई को छू सकते हैं।



आप सभी Group Family Member Please इसे आज किसी एक Person पर Apply करें और अपना अनुभव यहां हमारे साथ Share करें। 

Web:- https://www.trueleadergroup.com/

Saturday, November 7, 2020

बुध्दि और विवेक में अंतर।

बुद्धि- यह एक मानसिक प्रबलता को दर्शाती है, मतलब की जब हम परिस्थिति के अनुसान कुछ कार्य करते हैं परंतु इस बात पर गौर नहीं करते कि इसका रिजल्ट क्या होगा, बस कार्य को कर देते हैं, तब हम केवल बुद्धि का इस्तेमाल किये हुए होते हैं। 

बुध्दि से काम लेना मतलब कि उत्साहित होकर एक्शन करना, जैसे की जब कोई व्यक्ति कुछ काम को करता है, और रिजल्ट नेगेटिव आता है तो लोग कहते हैं कि 

"देखो ज्यादा बुद्धि लगा दिया" या बोलते हैं,

'बहोत बुध्दिमान बन रहा था अब समझ आएगा'

लेकिन जब व्यक्ति अपने विवके का इस्तेमाल करके कोई कार्य करता है तो इस बात की मउम्मीद ज्यादा होती है कि वह कार्य सही तरीके से होगा औऱ ऐसा कार्य करने वाले को लोग कहते हैं 

'वाह! ये व्यक्ति अपने विवेक का इस्तेमाल करके आज उचाईयों पर है'।

जब कोई काम बिगड़ जाता है तो बड़े लोग कहते हैं कि

'काश बुद्धि के साथ साथ विवके का भी इस्तेमाल करते तो ऐसा नहीं होता।'



यह इस प्रकार से है कि मान लीजिए कि आप एक कार चला रहे हैं, अब उसका जो एक्ससेलेटर है वो बुध्दि है और स्टेरिंग विवके है, मतलब की बुद्धि किसी कार्य में गति प्रदान करती है और विवके दिशा निर्धारित करती है और दोनों का ही अपना महत्वपूर्ण योगदान है।

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि विवेक हमारे एक्सपेरिंस से आता है और बुध्दि हमारे इनफार्मेशन से, जो आज तक हम इकट्ठा किये हुए हैं। हमारे जीवन में दोनों ही चीजें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 


अतः बुध्दि और विवके इतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्ससाइड।

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