Monday, August 26, 2019

True VS Lie (सच VS झूठ)


 हम जीवन भर 2 चीज के पीछे पड़े रहते हैं, सच और झूठ कभी विश्वाश तो कभी अंधविश्वाश। आइये थोड़ा Deep में सोचते हैं कि ये है क्या, और कितना महत्वपूर्ण हैं सच को सही और झूठ को गलत ठहराना।

◆ दोस्तों हम कभी कभी ऐसे जगह पर जाते हैं जहाँ से आने पर हमें बिना नहाये घर में जाने की अनुमति नहीं होती, यहां तक कि जो कपड़े हम पहने होते हैं उसे भी बिना धुले घर में लाने की अनुमति नहीं होती, हम सारे कपडे बाहर निकाल देते हैं, नहा कर ही घर में आते हैं ये एक विश्वास किया जाता अगर ऐसा नहीं किये तो Nigative Energy हमारे घर में प्रवेश कर जाएगी। अगर ऐसा है तो फिर मैं सोचता हूँ कि
हम अपने मोबाइल और पर्स को क्यों नहीं धुलते,
तो जवाब आता है कि अगर हम मोबाइल और पर्स को धूल देंगे तो हमें Loss होगा,
इससे ये समझ आता है कि कोई चीज तब तक ही सही है या विश्वास करने योग्य है जब तक हमें उससे कोई हानि ना हो , कोई Loss ना हो।

लोग गलत नहीं होते हैं बस अलग होते हैं।
ऐसी हमारे आपके जीवन में तमाम घटनाएं होती हैं जब हम सच और झूठ के भवर में फसकर बहोत कुछ खो देते हैं या किसी के जीवन के साथ जाने अनजाने में अन्याय करते हैं।

◆ अगर किसी लड़की की शादी होने से पहले ही किसी कारण वश टूट गयी हो, और उसकी दूसरी शादी होने वाली ही और कोई महान प्राणी जाकर पिछली बातें सच-सच सबको बता दे तो शायद ये शादी भी टूट जाएगी, जरा सोचने वाली बात है अगर इसे ही सच्चाई कहते हैं तो ये कितना सही है, चुनाव आपको करना है कि ये कितना ठीक है, बहुतों की जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं, बहोत सी ऐसी सच्चाई होती है, जिसके सामने आने से किसी का Life बर्बाद हो सकता है, मैं इन चीजों को नहीं लिख सकता लेकिन आप इस बात को अपने Life से, दूसरों के Life  से Connect करके सोच सकते हैं, देख सकते हैं, सिख सकते हैं।

◆ Thomas Edison जब बच्चे थे तो उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, उनकी Teacher उनके घर वालों को एक पत्र लिखती हैं उसमें लिखा था कि:-

 "हमें यह सूचित करते हुए बहुत खेद हो रहा है कि Thomas Edition की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और ये स्कूली शिक्षा लेने योग्य बालक नहीं है अतः Thomas को इस School से निकाला जाता है, हमें ऐसा करने से बेहद दुख है लेकिन हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है।"

Thomas की माता जी इस पत्र को पढ़ कर बहोत दुःखी हुईं और अपने बेटे से बोलीं
" बेटा इस पत्र में लिखा है कि Thomas एक बहोत ही Extra Ordinary Student है और हमारे School में इतने योग्य Teacher नहीं हैं कि Thomas को पढ़ा सकें। इसलिए इस बच्चे को प्राम्भिक शिक्षा घर पर ही दी जाए।" और इसके बाद Thomas Edison की मां बहोत रोयीं लेकिन Thomas समझ नहीं पाए कि उनकी माँ क्यों रो रही हैं और उसके बाद उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनकी उनके घर पर ही उनकी माँ से मिली। और ये पत्र Thomas को उनकी माँ के निधन के बाद मिली जब वो Young हो चुके थे।

आज पूरा विश्व Thomas Edition को जनता है।

 हम सच झूठ की भवर जाल में फसे हैं दूसरों को नीचे दिखाने की कोशिश में, छोटी छोटी बातों को क्लियर करने में, हम कैसे व्यवहार करते हैं?:- मुझे सच्चाई जानना है। और सबको पता है कुछ अच्छा नहीं होने वाला सब कुछ जानकर। किसी बात की सच्चाई जानने से ज्यादा Important है कि सच्चाई को Explain करना सीखें सच बोलना सीखें, सच बताना सीखें,
हम जितना दूसरों के बारे में सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं ना उसका 10% भी अपनी सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं रखते हैं। ये 100% सच है, अगर ऐसा नहीं है तो एक बार फिर से अपनी Life के पुराने पन्नो को ध्यान से देखें।




Friday, August 23, 2019

Reaction is responsible for our life.


 हमारे जीवन में क्या हो रहा है, क्या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि अलग-अलग परिस्थितियों में हम किस तरह से व्यवहार करते हैं, कैसे React करते हैं, और हमारे Reaction का जो OUTCOME आता है, उसका जो Result आता है वही हमारे जीवन को निर्धारित करता है।
                        

अगर हम धार्मिक गाथाओं की दृष्टिकोड से देखें तो बहोत कुछ सीखने और समझने को मिलेगा:-

★ राजकुमार श्री राम को जब राज तिलक मिलने वाला था तब उनके जीवन में बहोत विचित्र घटना घटी, रातों रात उन्हें राज महल त्याग कर 14 वर्षों में लिए वन में जाने का आदेश मिल गया। जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी, साजिश किसी और कि थी , Promise किसी और की थी, और बिना किसी कारण उनसे सब कुछ एक झटके में छीन लिया गया, वो चाहते तो विरोध कर सकते थे उनका अधिकार भी था लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया, उनका उस कठिन परिस्थिति में लिया गया निर्णय उन्हें राजकुमार राम से भगवान राम(पुरुषोत्तम राम) बना दिया।

★ एक कठिन परिस्थिति महाबली कर्ण के जीवन में भी आई थी, युद्ध प्रारम्भ होने से पहले उनसे उनका कवच और कुंडल धोखे से मांग लिया गया, कर्ण को पता था कि कवच और कुंडल देने के बाद मृत्यु निश्चित है फिर भी उन्होंने ऐसा किया और उसके बाद उन्हें विश्व के सबसे बड़े दानवीर की उपाधि देवताओं से मिली।
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ऐसे ही हमारे जीवन में अच्छी और बुरी घटनाएं होती रहती हैं, और अगर मैं सही हूँ तो ये बिल्कुल सच है सम या विषम दोनों परिस्थिति में हमारा लिया गया निर्णय ही हमारे आज के जीवन के लिए Responsible है।
जब हम अपने दिमाग का Use करते हैं तो लगभग-लगभग हमारा निर्णय सही रहता है और जब हमारा दिमाग हमें Use करता है तो हम गलत निर्णय ले लेते हैं और लगभग 95% times ऐसा ही होता है हमारा दिमाग हमें Use करने लगता है।
हमारा Reaction हमारे पढ़ाई-लिखाई, हमारे संस्कार, हमारे परिवेश के हिसाब से होता है, क्योकि हमारा दिमाग उसी के According Tune हो चुका है, और अगर हम अपने आज के जीवन से खुश नहीं हैं हमें वो सब मंजूर नहीं है जो हो रहा है तो हमें इसे बदलने की जरूरत है। इस Tunning को Change करने की जरूरत है।

Friday, August 2, 2019

Nature always takes examination.


Nature always take examination and it's only for till make us expert. 
" कुदरत हमारा इम्तेहान लेती है, और तब तक लेती है जब तक हम पास होकर उस कला में निपुण न हो जाएं।"
                                           

हम जिंदगी में कुछ भी नया या बड़ा करने जाते हैं तो हमारा परीक्षा लिया जाता है।

१- भगवान राम का अगर राज तिलक हो जाता तो उनको राजा कहा जाता, लेकिन एक कठोर परीक्षा हुई (14 वर्ष का वनवास) और उसके बाद जब वो राजा बने तो उन्हें भगवान राम की उपाधि दी गई।

२- भगवान कृष्ण को भगवान की उपाधि तब मिली जब उनकी भी परीक्षा हुई, उन्होंने रण भूमि में अर्जुन के द्वारा पूछे गए कठिन से कठिन प्रश्नों का जवाब देना पड़ा था। और सबसे कठिन समय में सही उपाय निकलने की जिम्मेदारी उनको मिली थी।

३- महाभारत में युद्ध से पहले अभिमन्यु को कोई नहीं जानता था, लेकिन युद्ध के बाद से पूरी दुनिया जान गई की कोई अभिमन्यु नाम का महा योध्या भी था।

उनका भी बहोत कठिन इम्तेहान लिया लिया गया था, चक्रव्यूह तो तोड़ने की जिम्मेदारी उनको ही दी गई थी चाहे जाने में या अनजाने में।

Friend's,
 इस दुनियाँ मे अपार संभावनाएं हैं, हमारे लिए ऊपर वाला बहोत कुछ रखा है देने के लिए लेकिन एक इम्तेहान इसलिए लेता है ये देखने के लिए कि जो मैं देने वाला हूँ उसे सम्भालने की ताकत सामने वाले में हैं कि नहीं
अगर हमारे Life में Direct या Indirect कुछ कठिन समय चल रहा है तो समझ लीजियेगा की हमारा इम्तेहान हो रहा है और बस तिजोरी खुलने वाली है जो कि ऊपर वाले ने हमारे लिए रखा है।Web:- https://www.trueleadergroup.com/

You have to change yourself.

If you want to change the condition,You have to change yourself.

अगर आप अपने साथ के वस्तुओं को बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को बदलना होगा।

 ● यदि आपको अपनी मनोस्थिति, अपनी रिश्तों को, अपने आर्थिक स्तिथि, अपने सामाजिक पहचान को बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को बदलना होगा। वो सारे बदलाव लाने होंगे जैसे की एक बीज को पेड़ बनाने के लिए अपने अस्तित्व को बदलना होता है, खुद को खत्म करना होता है,

    ●यदि आप अपना पड़ोसी,अपने जान-पहचान के लोग बदलना चाहते हो तो---
    ●यदि आप अपनी चेक, अपने बैंक बैलेंस बदलना चाहते है तो-------

दोस्त,मेरा सिर्फ एक ही जबाब होगा---- आपको खुद को बदलना होगा।
खुद को बदलना Means अपने Mind के Software को Upgrade करना होगा। क्योंकि पुरानी Knowledge पुराने Skills अब आपके सफलता के लिए रुकावट होंगे।नई तकनीक और जानकारियाँ हासिल करनी होगीं।
      जैसे मेडिसिन जो "जीवन रक्षक" होती है लेकिन एक्सपायर हो जाने के बाद वही आपकी जान भी ले सकती है वैसे ही आपकी पुरानी Knowledge, पुरानी Skill ही आपको सफल होने से रोक रही है।_

हमें अपने आप को
Physical Level
Mental Level
Emotional Level
Spiritual Level

हर तरह से कम से कम 1% ही Upgrate करने की कोशिश करनी होगी।
कहते हैं ना कि
Web:- https://www.trueleadergroup.com/
Love yourself too much but don't love with present situation.

Power of our Imagination and Excitements.


Friends we must know  the reality of
 " Imagination and Reality."

हम अक्सर सुनते आये हैं की Mind के दो part होते हैं
1:-Concious
2:- Unconcious.
Concious Mind, Unconscious Mind को Information देता है और Unconscious Mind उस Information को Reality में बदल कर Physical World में ला खड़ा कर देता है।
                                   Firend's जरा गहराई से सोचिये  कि अगर हम Inner World में कुछ इस तरह से Creat कर दें ( कुछ इतने पावर से सोचें ) कि हम उसे पा चुके हैं ।अब जरा गहराई से ये सोचें कि जो हम पा चुके हैं, जो चीज मेरा है उसे देखने में कोई Acctraction होगी क्या नहीं ना! Definatilly नहीं होगी।
                                                           लेकिन अगर कभी भी जो हमारा सपना है, जो हमारा Dream है उसे देख कर अगर Exitment आता है तो समझ लीजियेगा की हमारा Mind अभी तक हमारे सपने को Unconcious Mind तक पहुचाया नहीं है, हमें अपना Dream और अच्छे से Visualise करने की जरूरत है, और जब तक हमारा सपना, हमारा Dream हमारे Unconscious Mind में पूरे तरह से घर नहीं बना लेता, जब तक हम अपने सपने के साथ जी नहीं लेते तब तक वो सपना, सपना ही रह जाता है।
You have to believe that the thing is in your hand before get.

Thursday, August 1, 2019

Habit



We all about the product of our habit.

हमारे जीवन को मूल रूप से चलाने वाली जो चीज है वो है हमारी आदत, आज हम जो हैं, जैसे भी हैं, अपने आदतों के कारण ही है।
 ◆कुछ लोंगो की आदत होती है अच्छे कपड़े पहनने की तो कुछ लोग की आदत होती है खुद का ध्यान न रखने की।
◆कुछ लोग को आदत होती है हर छोटी सी गलती होने पर भी Sorry बोलने की तो कुछ लोगों की आदत होती है हमेशा गलती करने की।
◆कुछ लोंगो को आदत होती है सुबह-सुबह टहलने की तो कुछ लोंगो की आदत होती है 8-9 बजे तक सोने की।

Actually Reality ये है कि जो चीजें हमारे लिए अच्छी हैं उन आदतों को हमें खुद में Develop करनी पड़ती है लेकिन जो आदतें हमारे लिए अच्छी नहीं हैं उनकी आदत अपने आप हमें लग जाती है।

आइये समझें इस JOK को जो हमारी Life सीधा जुड़ा हुआ है, और हमें हर एक छड़ प्रभावित करता है।

● अगर हम अच्छे कपड़े पहनने की आदत डाल लें तो बुरे कपड़े पहने की आदत अपने आप छूट जाएगी।
● अगर हम सच बोलना शुरू कर दें तो झूठ बोलने की आदत अपने आप छूट जाएगी।
● अगर हम सुबह-सुबह टहलने की आदत डाल लें तो देर तक सोने की आदत अपने आप छूट जाएगी।

इसका मतलब ये है कि अगर हम आगे बढ़ना चाहते हैं चाहे कोई  भी Field में तो हमें कोई भी बुरी आदत छोड़ने की जरूरत नहीं है केवल अच्छी आदत Develop करने की जरूरत है, बुरी आदत अपने आप छूट जाएगी।

अगर हमें Spirituality में आगे बढ़ना है तो :-क्रोध,गुस्सा,लालच,चालाकी
इन्हें छोड़ने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें खुद में प्यार,खुशी,Careness, कुछ देने की आदत जैसी चीजों को खुद में Develop करने की जरूरत है, सारी बुरी चीजें अपने आप छूट जाएंगी।

The highest possibilities


 All the natural thing reached those maximum limit other than human being.

Nature द्वारा बनाई गई सभी चीजें अपने Maximum Limit तक Grow करती हैं केवल मानव जाति को छोड़कर आइये समझते हैं Example:-

अगर मैं पूछुं की एक पेड़ कितना बड़ा होता है तो उत्तर आएगा

●एक पेड़ उतना बड़ा होता है जितना हो सकता है, उसकी शाखाएं उतनी दूर तक जाती हैं जितनी जा सकती हैं, उसमें उतने फल आते हैं जितने आ सकते है, उसकी जड़ें उतनी दूर कर फैली रहती हैं जितना अधिक से अधिक फैल सकती हैं,

●एक पंछी उतना ऊपर तक उड़ाती है जितना कि अधिक से अधिक उड़ सके।

●एक चीता उतना तेज दौड़ता है जितना अधिक से अधिक तेज दौड़ सकता है।

●एक नदी उतना दूर तक बहती है जितना कि वो बह सकती है, वह उतना ज्यादा गहरा होती है जितना होने की संभावना होती है।

लेकिन मानव जाति में सभी लोग उतना Develop होने को सोच भी नहीं पाते जितना कि वो हो सकते हैं। हम सब खुद में खोए हैं, ऐसी परिस्थितियों से खुद को घेरे हुए हैं, ऐसे सोच से खुद को घेरे हुए हैं जिससे बाहर निकलना ही नहीं चाहते।

आइये आज वादा करें खुद से Highest Possibilities तक जाएंगे हर के दिशा में

Financial Position में,
Friendship wise,
Socially Position में,
Spiritual Position में

Life के हर उस दिशा में खुद को Maximun तक लेकर जाना है जिसमें मानव जाति का अस्तित्व है।

Magic of Words



Words have power to change the hole situations.

शब्दों में वो शक्ति है जो किसी इंसान को, किसी भी Situation को पूरी तरह से बदल सकता है,

कहा जाता है मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि वो Natural Energy की दिशा को बदल सकती है।
●शब्दों का ही प्रभाव था कि डाकू अंगुलीमाल गौतम बुद्ध से प्रभावित होकर साधु बन गया था।
●शब्दों का ही प्रभाव है कि रण भूमि में गीता जैसे महान ग्रंथ की रचना हुई।
●शब्दों का ही जादू था कि तानसेन अपने गाने से बारिश करा सकते थे।

हो सकता है हम और आप किसी जानवर को भी मारने की हिम्मत नहीं झुटा पाते हों लेकिन कुछ लोगों के कानों में ऐसा कुछ शब्द डाला जाता है जिससे की लोग आतंकवादी बन जाते हैं और छोटे बच्चे हों, बड़े हों, औरत हों किसी को भी मारने से पहले वो एक Second के लिए भी नहीं रुकते।

◆आज समाज में जो हमारा बजूद है वो उस पर निर्भार है कि हम कैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।
◆कहते हैं ना कि अगर खाने में जहर पड़ जाए तो उसका इलाज है लेकिन अगर शब्दों के माध्यम से हमारे दिमाक में कोई जहर घोल दे तो उसका इलाज ना मुमकिन है।

Must be say to god, "God give me the right collection of words as I can give other too much love and happiness".

The law of karma


Law of Karma का मतलब की जो हम करते हैं उसके बदले में हमें Nature से जो वापस मिलता है।

हम जो कर रहे हैं वो सही है या गलत। या फिर कोई दूसरा जो कुछ काम कर रहा है तो वह सही है या गलत।
हर चीज का निर्णय इस बात से लगाया जा सकता है कि जो काम किया जा रहा है उसका उद्देश्य क्या था।

 First Case :- मान लीजिए कि एक आदमी अपना चेहरा कपड़े से बांध कर दूसरे आदमी कि ओर चाकू लेकर चला आ रहा है और उसे मार दिया, अब यहाँ दो चीजें होने की संभावना है,एक ये कि जिसे चाकू लगा वो बच सकता है या मर सकता है।
लेकिन दोनों ही Condition में चाकू मारने वाला दोषी है क्योंकि उसका उद्देश्य मारना था।

 Second Case:- एक आदमी अपना चेहरा कपड़े से ढके हुए ढेर सारे चाकू लेकर एक आदमी की ओर जा रहा है लेकिन वो डॉक्टर है उसने भी एक इंसान के ऊपर चाकू से कुछ किया और जिसे चाकू लगा वो, वो या तो मर सकता है या बच सकता है लेकिन यहां डॉक्टर दोषी नहीं है क्योंकि इसका उद्देश्य सामने वाले कि जान बचाना था यह Doctor अपने मरीज का Operation करने गया था।

ऐसी बहोत सी घटनाएं हमारे जीवन में होती रहती हैं, बहोत कुछ बिगड़ता है बहोत कुछ बनता है, कभी-कभी रिश्तों में भी ऐसा होता है, कुछ रिश्तें हमें तोड़ने पड़ते हैं कुछ अपने आप टूट जाते हैं लेकिन अगर उद्देश्य सही है तो सब कुछ सही है।

It means activity is not important what you are doing.
Intension is very important what you are doing.

Are we ill on mental level?

Are we ill on mental level ?

We all know that, our 90% activity depend on our thought process. 

हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन की 90% होने वाली घटनाएं हमारे सोच के हिसाब से होती हैं लेकिन बड़ी दुःख की बात है कि हम अपने सोच को ठीक करने उसका ध्यान रखने के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते, न हम अपने दिमाक को कोई Nutrition देते हैं, ना इसके बारे में सोचते ही हैं।

चलिए अगर इस बात को नजर अंदाज भी कर दें तो क्या इस बारे में सोचते हैं कि जब हमारा Physical Body बीमार होता है तो उसके लिए हर तरह की दवा, हर तरह से इसका इलाज करते हैं, लेकिन जब हम दिमागी रूप से बीमार होते हैं तो क्या कुछ करते हैं इसके लिए, जब हमारी सोच खराब होने लगती है, जब हम किसी के बारे में बुरा सोचने लगते हैं, गुस्सा होने लगते हैं तब क्या हम बीमार नहीं हैं ~ दिमागी स्थिति में?

हैं! बिल्कुल हैं!
अगर हम अच्छा नहीं सोच पा रहे हैं, अच्छे विचार हमारे दिमाक से दूर है तो इसका मतलब है कि हम बीमार हैं और शायद कभी-कभी बहोत ज्यादा बीमार। अगर हमारे घर-परिवार का कोई सदस्य अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है तो वो भी बीमार है, लेकिन क्या हमें ऐसे स्थिति में उसके ऊपर गुस्सा करना चाहिए! शायद नहीं हमें उसका इलाज करना चाहिए।

इस दुनियां में हजारों तरह की थेरेपी विधि है बीमारी की इलाज के लिए, जैसे:-
●गाना सुनना भी एक पैथी है,
●मोटिवेट करना भी एक पैथी है,
●अच्छे से बात करना भी एक पैथी है।

लेकिन सभी पैथी को करने का सही समय और सही तरीका होता है। पर हम ऐसा करते नहीं है अगर कोई लगातार बुरा व्यवहार कर रहा है तो समझ लेना चाहिए कि ये बीमार है और प्यार से इसका इलाज करना होगा, लेकिन हम उसका उल्टा करते हैं हम उससे नफरत करने लगते हैं, अगर हमारा बच्चा चिड़चिड़ा होता जा रहा है तो हम उसकी पिटाई कर देते हैं ये सोच कर कि वो बत्तमीजी कर रहा है। ऐसे ही हमारे Society में, हमारे कार्य स्थल पर भी होता है और हम उस व्यक्ति को ठीक करने के बजाए उससे नफरत करने में अपना समय गवाते हैं।

यह ऐसी बात है कि इसपर बहोत कुछ कहा और लिखा जा सकता है। सोचा जा सकता है।

*अपने दिमाक को Nutrition देने से मतलब है कि कुछ अच्छा पढना, कुछ अच्छा सुनना, कुछ अच्छा देखना, Meditation करना। और इस बात को हमेशा ध्यान में रखना की हम दिमागी स्तर पर कमजोर तो नहीं होते जा रहे हैं।*
◆ चिड़चिड़े तो नहीं होते जा रहे हैं।
◆ बिना वजह के गुस्सा तो नहीं हो रहे हैं।
◆ कहीं ज्यादा गुस्सा तो नहीं हो रहे हैं।
◆ किसी के बात का गलत तरीके से Reply नहीं कर रहे है।
◆ अपने Character को तो नहीं खोते जा रहे हैं।


अगर आपका कोई विचार हो इस बारे में तो प्लीज शेयर करें क्योंकि ये Topic हमारे Life से बहोत ज्यादा Close, हर  समय हर पल हम इस स्थिति से गुजर रहे हैं।