Saturday, September 21, 2019

Really Truth is Important?

ऐसी हमारे आपके जीवन में तमाम घटनाएं होती हैं जब हम सच और झूठ के भवर में फसकर बहोत कुछ खो देते हैं या किसी के जीवन के साथ जाने अंजाने में अन्याय करते हैं।
जरा समझने का कोशिश करते हैं।

                             

◆ अगर किसी लड़की की शादी होने से पहले ही किसी कारण वश टूट गयी हो, और उसकी दूसरी शादी होने वाली हो और कोई पिछली बातें सच-सच सबको बता दे तो क्या होगा? शायद ये शादी भी टूट जाएगी, जरा सोचने वाली बात है अगर इसे ही सच्चाई कहते हैं तो ये कितना सही है, चुनाव आपको करना है कि ये कितना ठीक है, बहुतों की जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं, बहोत सी ऐसी सच्चाई होती है, जिसके सामने आने से किसी की Life बर्बाद हो सकती है, मैं इन चीजों को नहीं लिख सकता लेकिन आप इस बात को अपने Life से, दूसरों के Life  से Connect करके सोच सकते हैं, देख सकते हैं, सिख सकते हैं।

◆ Thomas Edison जब बच्चे थे तो उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, उनकी Teacher उनके घर वालों को एक पत्र लिखती हैं उसमें लिखा था कि:-

 "हमें यह सूचित करते हुए बहुत खेद हो रहा है कि Thomas Edition की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और ये स्कूली शिक्षा लेने योग्य बालक नहीं है अतः Thomas को इस School से निकाला जाता है, हमें ऐसा करने से बेहद दुख है लेकिन हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है।"

Thomas की माता जी इस पत्र को पढ़ कर बहोत दुःखी हुईं और बेटे के पूछने बोलीं:-
" बेटा इस पत्र में लिखा गया है कि Thomas एक बहोत ही Extra Ordinary Student है और हमारे School में इतने योग्य Teacher नहीं हैं जो Thomas को पढ़ा सकें। इसलिए इस बच्चे को प्राम्भिक शिक्षा घर पर ही दी जाए।" और इसके बाद Thomas Edison की मां बहोत रोयीं लेकिन Thomas समझ नहीं पाए कि उनकी माँ क्यों रो रही हैं और उसके बाद उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनकी उनके घर पर ही उनकी माँ से मिली। और ये पत्र  Thomas की माँ के निधन के बाद मिली जब वो Young हो चुके थे।
आज पूरा विश्व Thomas Edition को जनता है

 हम सच-झूठ की भवर जाल में फसे हैं दूसरों को नीचे दिखाने की कोशिश में, छोटी-छोटी बातों को क्लियर करने में, हम कैसे व्यवहार करते हैं?:- "मुझे सच्चाई जानना है।" और सबको पता है कुछ अच्छा नहीं होने वाला कुछ भी जानकर। किसी बात की सच्चाई जानने से ज्यादा Important है कि सच्चाई के महत्व को समझने की कोशिश करें।
हम जितना दूसरों के बारे में सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं उसका 10% भी अपनी सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं रखते। ये 100% सच है, अगर ऐसा नहीं है तो एक बार फिर से अपनी Life के पुराने पन्नो को ध्यान से देखें।

Finally बात ये आती है कि क्या सच नहीं बोलना चाहिए?

मेरा मतलब सिर्फ इतना कहना है की जिस सच्चाई से किसी का भला ना हो सके और उसे बोलने की जरूरत भी नहीं है वो नहीं बोलना चाहिए।