Wednesday, November 18, 2020

How to talk with a person in business ?


        


Business में हमें हमेशा नये लोगों से मिलना होता है, कुछ Deals पूरे होते हैं कुछ नहीं होते। कभी कभी तो ऐसा होता है कि कोई भी Deal पूरा नहीं होता,  लोग हमारे साथ नहीं जुड़ते लेकिन उसी काम के लिए किसी और से जुड़ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है ये सोचने वाली बात है। 


होता ये है कि जब Deal पूरी नहीं होती तो उसके पीछे हमारे बात चीत करने के तरीका कैसा था,  उस पर निर्भर करता है। 

Business Talk का एक अलग तरीका होता है, कुछ Steps Follow करने होते हैं अगर हम इस Steps को Follow करें तो Deal पूरी होने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ सकती है। 

◆ जब किसी से बात करें तो सामने वाले को महसूस होना चाहिए कि आप उस Field के बेहतरीन इंसान हैं जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं।

◆ सामने वाले को बिल्कुल  Comfortable महसूस होना चाहिए,

◆ सामने वाले के किसी Problem को Solve करने की दिशा में बात करें, उसे लगना चाहिए आपके साथ जुड़ने पर उसकी कोई बड़ी समस्या सुलझाने वाली है।

◆ सामने वाले के किसी Emotional Point को जरूर छुएँ वो भी इस प्रकार से की उसे बुरा न लगे।

◆ सामने वाले को एक Question दे कर बात किlose कर दें। 

ये 5 Step Formula अगर हम Apply करें तो अपने Business में, एक नई ऊंचाई को छू सकते हैं।



आप सभी Group Family Member Please इसे आज किसी एक Person पर Apply करें और अपना अनुभव यहां हमारे साथ Share करें। 

Web:- https://www.trueleadergroup.com/

Saturday, November 7, 2020

बुध्दि और विवेक में अंतर।

बुद्धि- यह एक मानसिक प्रबलता को दर्शाती है, मतलब की जब हम परिस्थिति के अनुसान कुछ कार्य करते हैं परंतु इस बात पर गौर नहीं करते कि इसका रिजल्ट क्या होगा, बस कार्य को कर देते हैं, तब हम केवल बुद्धि का इस्तेमाल किये हुए होते हैं। 

बुध्दि से काम लेना मतलब कि उत्साहित होकर एक्शन करना, जैसे की जब कोई व्यक्ति कुछ काम को करता है, और रिजल्ट नेगेटिव आता है तो लोग कहते हैं कि 

"देखो ज्यादा बुद्धि लगा दिया" या बोलते हैं,

'बहोत बुध्दिमान बन रहा था अब समझ आएगा'

लेकिन जब व्यक्ति अपने विवके का इस्तेमाल करके कोई कार्य करता है तो इस बात की मउम्मीद ज्यादा होती है कि वह कार्य सही तरीके से होगा औऱ ऐसा कार्य करने वाले को लोग कहते हैं 

'वाह! ये व्यक्ति अपने विवेक का इस्तेमाल करके आज उचाईयों पर है'।

जब कोई काम बिगड़ जाता है तो बड़े लोग कहते हैं कि

'काश बुद्धि के साथ साथ विवके का भी इस्तेमाल करते तो ऐसा नहीं होता।'



यह इस प्रकार से है कि मान लीजिए कि आप एक कार चला रहे हैं, अब उसका जो एक्ससेलेटर है वो बुध्दि है और स्टेरिंग विवके है, मतलब की बुद्धि किसी कार्य में गति प्रदान करती है और विवके दिशा निर्धारित करती है और दोनों का ही अपना महत्वपूर्ण योगदान है।

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि विवेक हमारे एक्सपेरिंस से आता है और बुध्दि हमारे इनफार्मेशन से, जो आज तक हम इकट्ठा किये हुए हैं। हमारे जीवन में दोनों ही चीजें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 


अतः बुध्दि और विवके इतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्ससाइड।

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Saturday, August 1, 2020

हर वक्त दिमाक चलता रहता है?


आज तक मुझसे बहोत से लोग मिले और एक बोलते हैं कि  "मेरा दिमाक सही जगह पर नहीं टिकता", हर वक्त माइंड में कुछ न कुछ चलते रहता है, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा लेकिन कहीं रुकता नहीं है, मैं शांत नहीं रह पाता।

मैं जानना चाहता हूं कि आपका दिल अभी इस वक्त धड़क रहा है कि नहीं? आप बोलोगे धड़क रहा है।

अगर मैं पूछूँ कि क्या आपकी दिल की धड़कन ठीक चल रही है?
अगर मैं पूछूँ कि आपका ब्लडप्रेशर ठीक है कि नहीं?
अगर मैं पूछूँ कि आपका सही तरीके से खून का दौरा हो रहा है कि नहीं?
आपका पाचन सही चल रहा है की नहीं?
तो आपका उत्तर होगा कि हाँ सब कुछ ठीक चल रहा है।

अगर मैं ये पूछूँ की अगर इनमें से कुछ चीजें चलना बंद हो जाये तो आप क्या करेंगें? तो उत्तर आएगा कि फिर मैं डॉक्टर को दिखाऊंगा। क्योंकि इस परिस्थिति में मैं सामान्य नहीं रहूंगा, मुझे बीमार हो जाऊंगा।



तो मैं ये जानना चाहता हूँ कि फिर आपको केवल अपने दिमाक से दुश्मनी क्यों है? क्योंकि जैसे दिल का, पाचन क्रिया का, ब्लड का अपना काम होता है, वैसे ही दिमाक का भी काम होता है, चलते रहना। लेकिन यहां बदलाव ये है कि दिमाक में क्या चल रहा है और कैसे चल रहा है इसका चुनाव हम कर सकते हैं, इसे हम हर एक सेकंड मॉनीटर कर सकते हैं। तो समस्या ये नहीं है कि दिमाक चल रहा है, समस्या ये है कि क्या चल रहा है।

तो हमें दिमाक के चलने को नहीं बदलना है, क्या चल रहा है उसे अपने हिसाब से बदल लें तो फिर कोई समस्या नहीं है, तो बात आती है की कैसे इस चीज को कंट्रोल करें कि दिमाक में क्या आये और क्या नहीं।

सच्चाई ये है कि जिस तरह से हमारे शरीर के बाकी अंग समय समय पर अपनी स्थिति को बदलते रहते हैं।
जैसे कभी बीपी कम तो कभी ज्यादा हो जाती है,
कभी पाचन ठीक तो कभी खराब हो जाता है,
वैसे ही दिमाक का भी बदलाव चलता रहता है।

हमें सिर्फ ये देखना है की 24 घंटे के समय में अधिक समय तक हम क्या सोचते रहते हैं, हमारा दिमाक किस दिशा में है और कितना है। और इसे समझने के लिए महत्वपूर्ण चीज ये है कि हम कितना जागरूक हैं अपनी सोच को लेकर।
अगर हमारे पास कोई महान लक्ष्य है जो मानव जाति के साथ साथ इस संसार के लिए भी ठीक है और हम उसके प्रति जागरूक हैं, तो निश्चित रूप से हमें कोई विचार बहोत परेसान और उदास नहीं कर सकती और हम आनंद के साथ अपना जीवन बिता सकते हैं बिना हैरान और परेशान हुए।

Web:- https://www.trueleadergroup.com/

Thursday, June 11, 2020

आइये थोड़ा खुश होते हैं!

काल करे सो आज करें, आज करें सो अब।
पल में प्रलय होयगी बहुरि करोगे कब?



(हो सकता है इस दोहे में मुझसे इस्पेल्लिंग गलती हुआ हो, तो माफ कीजियेगा लेकिन आज इसके सूत्र को समझने का समय आ गया है)

कबीर दास का ये दोहा बचपन में पढ़ाया गया था, तब कुछ खास समझ नहीं आया, लेकिन ये भाविष्य के लिए पढ़ाया गया था अब महसूस होता है। न जाने कितने काम हम पेंडिंग में छोड़े पड़े हैं ये सोच कर की
एक दिन मैं ये करूँगा, एक दिन मैं वो करूँगा
लेकिन सच्ची तो ये है कि उस एक दिन का मतलब है कोई भी दिन नहीं।

सोचिये हम कितने लोगों का दिल दुखाये होंगे, कितने लोगों को तकलीफ दिए होंगे, मन भी करता है जाकर माफ़ी मांग लें, लेकिन सोचते हैं। "एक दिन बोलेंगे"।

जी करता है कि कुछ अच्छा करें, कुछ लेकर आएं परिवार के लिए, बच्चों के लिए, मां के लिए, भाई के लिए लेकिन फिर सोचते हैं "एक दिन ऐसा करेंगे" और शायद एक दिन-एक दिन करते-करते सालों बीत गए लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया।

उस दोस्त को देख कर अभी भी मुह मोड़ लेते हैं जिसके बिना हम कुछ खाते तक नहीं थे, जी करता है बात करें, और ये भी पता है कि सामने वाला भी यही सोचता है लेकिन "एक दिन ऐसा कर लेंगें" सोच कर सालों से एक सुंदर रिश्ते को छोड़े पड़े हैं।

आज खुद से एक वादा कीजिये, आइये कम से कम एक रिस्ते को जिंदा करते हैं, अगर हमारी गलती नहीं है फिर भी अगर सॉरी बोल देने से सब कुछ ठीक हो सकता है तो सॉरी बोलते हैं ना, कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि अच्छा होगा।
घर के जो बड़े हैं शायद उनका पैर छुए सालों बीत गए तो आइए आज ऐसा करते हैं।

आइये आज अपने अध्यापक को, भाई-बहन को दोस्त को, जीवन साथी को
आई लव यू बोलते हैं ना,

मुझे पता है आपकी आंखें थोड़ी नम है, फिर ये भी सोच रहे हैं कैसे करूँ, फिर लगेगा कि ये सब फालतू की बात है,  सोचिये अब तक कितना हम सब फालतू का काम कर चुके है, तो आज एक और सही, मैं कम से कम पांच लोगों को आई एम सॉरी और आई लव यू बोलूँगा आंसू आएंगे तो रो लूंगा लेकिन फिर बहोत अच्छा लगेगा। अगर आपको ठीक लगे, तो बताइयेगा जरूर अपने कितने लोगों के साथ ऐसा किया, आइये आज मन और दिमाक दोनों को थोड़ा सा सांत करते हैं।

आइये आज दिल खोल कर जीते हैं, फिर से खुशियों को जोड़ने की कोशिस करते हैं, आइये थोड़ा प्यार बाटते हैं।

Saturday, May 30, 2020

Conscious Vs Un-Concious mind

हमारा Mind 3 Level पर काम करता है,
1- Conscious Mind
2- Un-Concious Mind
3- Sub-Concious Mind



हमलोग आज बात करेंगे Concious और Un-Concious Mind के बारे में और हमें अपने Goal को Achieve करने में यह कैसे Help करता है इसके बारे में भी।

अगर सीधे-सीधे समझा जाये तो जिस काम को करते हुए हम सबकुछ महसूस करते हैं, मतलब की पूरी तरह से जाग कर उस काम को करते हैं उस Time पर हम Concious होते हैं।
अब Un-Concious का मतलब ये नहीं कि हम सोये हैं, बस हमारा ध्यान काम में नहीं है, अब बात ये आती है कि क्या Un-Concious होना हमारे लिए
हमेशा बुरा होता है? तो इसका Answer है नहीं ऐसा नहीं है। Un-Concious होना भी हमारे लिए उतना ही जरूरी है जितना कि Conscious होना।

For Example:- अगर आप Student हैं और पढ़ाई कर रहे हैं, और आपके घर के बाहर बच्चे खेल रहे हैं, आवाज कर रहे हैं। इस स्थिति में यहाँ आपको अपने पढ़ाई के लिए जितना Conscious होने की जरूरत है उतना ही बाहर के आवाज के लिए Un-Concious होना भी जरूरी है। नहीं तो आप कुछ कर ही नहीं पायेंगे, हमेशा Disturb ही रहेंगे।

अब इसे अगर अपने Goal से जोड़कर देखें तो हमें अपने Goal के लिये Concious होना होगा,
Actually आपको Un-Concious होने के लिए कुछ भी नहीं करना होता बस आप जो चाहते हैं उसके लिए Conscious होना पड़ता है। Unwanted चीजों के लिए आप Automatically Un-Concious हो जाएंगे।

आपका Goal हर समय आपके Mind में होना चाहिए,
बहोत से Trainer अपनी Training में बताते हैं कि हमें अपने Goal को दीवाल पर या किसी Board पर, चिपका देना चाहिए, Wallpaper में अपने Goal को लगा कर रखिये, Actually वो इस बात की Training देते हैं कि कैसे अपने Goal को Mind में Set करें, कैसे Fully Concious होकर अपने Goal पर Focus करें।

Conciousness को बढ़ाने का सबसे Best तरीका है Aquar the Right knowledge. आप अपने काम से जुड़ी हर तरह की Knowledge इकठ्ठा करना शुरू कीजिए बस इतना ही करना है। आपको फिर जितनी Consciousness की जरूरत है वो आने आप Develop हो जाएगी।

Saturday, April 25, 2020

What is Motivation?

The correct knowledge about a work and internal voice to do that work is real motivational source.

कभी-कभी हम कुछ करने की सोचते हैं, और कोशिस भी करते हैं, लेकिन कुछ समय के बाद उसे करने का मन नहीं करता, फिर अगर कहीं से Motivation मिल गया तो थोड़ा समय तक फिर उस काम को करते हैं लेकिन फिर कुछ समय बाद मन नहीं करता।  बाद में ऐसा महसूस होता है कि "इस काम को करने के लिए कहीं से कोई Motivation नहीं मिला"।
                                       

Motivtion is not a booster tools it's also a part of knowledge.

Motivation भी एक तरह का Knowledge ही है और जब यह हमें अपने काम से Realated मिलता है तो हम खुद को Connect करते हैं और Result कुछ और ही आता है।

 सोचिये की अगर Motivation एक Power Booster होता तो यह एक ही तरह की से सभी के लिए काम करता लेकिन ऐसा नहीं है।
एक Army man को अलग,
एक Doctor को अलग,
एक Student को अलग और
एक Businessman को अलग अलग बातें Inspire करती है।
जिसे जिस चीज की जानकारी है उसी तरह की Motivation भी काम आती है।

तो ये सच है कि कुछ भी करने के लिए सही Knowledge और अंदर की आवाज ही सब कुछ है फिर उसके बाद परिस्थिति कुछ भी काम हो ही जाता है।

Friday, April 24, 2020

गरीब Vs अमीर Mind Set

इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हम जो कुछ भी हैं जैसे भी हैं अपनी मानसिकता के कारण ही हैं।हमारे दिमाक में जो चीज जितनी प्रबलता से पनपती है वही हमारे जीवन में होती रहती है। स्वामी विवेकनंद जी कहते हैं कि
"हम जैसा सोचते हैं एक दिन वैसे ही बन जाते हैं।"

आज हम बात कर रहे हैं गरीब और अमीर मानसिकता के बारे में।

हम सब जानते हैं कि लोग या तो गरीब होते हैं या अमीर। लेकिन मानसिकता भी गरीब और अमीर होती है ये थोड़ी सी नई और गौर करने वाली बात है। अगर हम  स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से समझने की कोशिस करें तो ऐसा समझ आता है कि-

गरीब मानसिकता का मतलब की अगर हम छोटी छोटी बातों पर हर वक्त फायदे और नुकसान के बारे में सोचते हैं, हर वक्त चीजों को Calculate करके देखें, और थोड़ा सा घाटा होने पर Over React करते हैं तो ये गरीब सोच वाली मानसिकता है। और अगर हम ऐसा सोचते हैं तो एक न एक दिन गरीबी हमें जरूर घेरेगी। मतलब कि हमारा भविष्य अंधकार में है। लेकिन दूसरी ओर

अमीर मानसिकता का मतलब बिल्कुल इसका उल्टा, हम खुले मिजाज के बनें, हर छोटी छोटी से बातों पर घाटे और फायदे के बारे में न सोचकर दूर दृष्टि रखें तो ये अमीर सोच की मानसिकता कहलाएगी।

आज आप क्या हैं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप कैसे सोचते हैं और क्या बनना चाहते हैं इससे बहोत फर्क पड़ता है। एक छोटी से Situation से समझने की कोशिस करते हैं।

अगर एक गरीब व्यक्ति अपने परिवार के लिए कुछ 27 रुपये का सामान लिया और 50 कि नोट देखकर ये Calculate नहीं करता कि कितना बचा तो वह अमीर मानसिकता का है और अगर कोई अमीर व्यक्ति 1923 रूपये का सामान लेकर 2000 का नोट देकर तुरंत लगता है Calculate करने तो वह गरीब मानसिकता का है, ये मानसिकता ही हमें मंजिल तक ले जाती है।
यहां बात गणित में तेज या कमजोर होने की नहीं है बल्कि Calculate करने की आदत का है।
ये छोटी छोटी बातें हमें बताती हैं कि हम किस ओर जा रहे हैं,
कुछ लोगों को इस बात का बहोत Tension होता है
"मेरी गाड़ी 7 साल पुरानी हो गई है और इतना जल्दी बहोत कम Average देने लगी।"

चेक कीजिये साहब 7 साल "इतनी जल्दी" वाले Catagory में नहीं आती।

यहां बात केवल गरीब और अमीर की नहीं हो रही है ये तो एक आधार है समझाने के लिए है कुछ ऐसे ही हम सब जीवन के सभी क्षेत्र में करते हैं।
कुछ भी करने के लिए 80% तो केवल मानसिकता को बनाने में और बनाये रखने में ऊर्जा खत्म होती है बाकी तो 20% केवल काम करना होता है।

हो सकता है ये बात थोड़ी अजीब लगे लेकिन कुछ महान करने के लिए अजीब आदतों का होना भी बहोत जरूरी है साहब।

Monday, February 24, 2020

Self Love 💐


 हमें सब कुछ Celebrate करना चाहिए लेकिन हम नहीं करते, हर वो चीज जो हमारे लिए अच्छा है, या जब भी कोई Person हमारे Life में आये तो उस Moment को Celebrate करना चाहिए, लेकिन हम नहीं करते हैं। उसका एक कारण है। और वो है! खुद से प्यार न करना ।



                               

जरा सोचिए कि आप कब अपने आप के साथ अकेले में बैठे थे?
वो कौन सा दिन था जब खुद को पहचाने थे?
तो शायद ऐसा कोई दिन ही नहीं है। ये Question ही सुनकर बड़ा अजीब सा लगता है कि खुद से कब मिले थे?
कुछ लोग हैं जो खुद से प्यार करते हैं लेकिन वो खुद में ही Confused भी हैं। उन्हें लगता है कि अगर वह खुद से प्यार करते हैं तो इसका मतलब है कि  वह अपने मन से कुछ भी करें सब ठीक है। उन्हें कोई Guide नहीं कर सकता। वो लोग उल्टे सीधे काम करने लगते हैं, ये एक बहुत बड़ी Confusion वाली बात है कि अगर आप खुद से प्यार करते हैं तो अपने आप के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
कुछ लोग तरह-तरह के नशा करते हैं,
कुछ लोग गंदे तरीके से व्यवहार करते हैं,
कुछ लोग Society से बिल्कुल अलग तरीके से रहने लगते हैं,
और उन्हें लगता है कि वो अपना रास्ता खुद चुनेंगे और अपने मन से कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि वो खुद से प्यार करते हैं।

"लेकिन साहब ऐसा करना ठीक नहीं है।"

खुद से Love करने का मतलब होता है कि "हर वो काम करना जो अपने लिए और औरों के लिए फायदेमंद और जरूरी हो।"

ऐसे बहोत से पहलू हैं जहाँ हमें खुद से, अपने आप से प्यार करना चाहिए, जैसे कि बात हो
Health की,
Personality Development की,
Self Respect की,
Self Guidence की,
दोस्तों के चुनाव करने की,
अपने जीवन साथी के चुवान करने की,
अपने Career की चुवान करने की,
अपने गुरु Mentors के चुनाव करने की,
अपने मनपसंद Education लेने की,
अपने Hobby को जीने की।

अगर हम ये सब चीजें किसी और के Guidance में आकर करते हैं तो फिर ये साफ है कि हम खुद के साथ नहीं हैं। बल्कि किसी के इशारों पर चल रहे हैं। लेकिन जब हम इन चीजों को अपने According करते हैं तो इसका मतलब होता है कि We are in Self Love.
और जब तक हम अपने आप को पहचान न लें,
जब तक हम अपने आप को नजदीक से जान न लें
तब तक हम न खुद के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं ना ही किसी और के लिए।

एक Question कीजिये खुद से अभी और इसी वक्त, कि अगर आप खुद से प्यार नहीं करते, खुद को Respect नहीं देते तो फिर किसी और से इसकी उम्मीद क्यों करते हैं?

Self Respect is First Key to be Success in Life.

Sunday, January 19, 2020

How To Do A Work?


हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं की हमें मेहनत से काम करना चाहिए। Actually अगर थोड़ा सा Deeply सोचें तो ये बात समझ ही नही आती की मेहनत से काम करना क्या होता है, ये केवल कहने और बोलने वाली बात है, अगर किसी को पढ़ाई करनी है तो उसमें मेहनत कैसे करें?? पढ़ने में तो Concentration की जरूरत है मेहनत की कैसे जरूरत पड़ती! It's very confusion-able.

कभी कभी जब किसी Company में Sales की Training दी जाती है तो Salesman Fully Chargeup  हो जाते हैं और बोलते हैं "अब तो मैं Market में आग लगा दूंगा।"
लेकिन उन्हें खुद Clear नहीं होता कि "आग" लगाना किसे कहते हैं।
Acually अगर जरा ध्यान से समझने की कोसिस करें तो ये समझ आता है कि काम करके या मेहनत करके कुछ भी हम हासिल नहीं कर सकते क्योंकि ये शब्द "मेहनत" और "आग लगा देना" बहोत बार Confusion Creat करते हैं। किसी काम को अंजाम देने का सीधा सा और सटीक Formula है की-
                         

1- सबसे पहले लक्ष्य Decide करें।
2- फिर Clear करें की उसे करने के लिये किन किन चीजों की जरूरत पड़ रही है।
3- अब जिन चीजों की जरूरत है उनमे से हमारे पास क्या-क्या है, और क्या-क्या नहीं है।
4- अब जो चीजें नहीं है वही Problem है।
5- अब ये सोचने वाली बात है कि इस Problem को कैसे Solve करें
6- Problem Solve करने को ही Work करना बोलते हैं।

आइये एक Example से इसे समझने की कोसिस करते हैं।

Example:- मान लीजिए कि एक Salesman है जिसे खूब charge up कर दिया गया, अब
उसके अंदर बहोत सारा Motivation भरा पड़ा है उसे लगता है की Market बहोत Clear है आज तो Market में आग लगा दूंगा, आज तो केवल मैं ही मैं हूँ...

अब सोचते हैं कि क्या क्या Problem आ सकती है Salesman को Sales करने में

●हो सकता है उसके पास अच्छे कपड़े ना हों,
●हो सकता है उसके पास Vehicle ना हो,
● हो सकता है उसे Product के बारे में पूरी जानकारी ना हो,
●हो सकता है वो ऐसे Market में चला गया हो जहाँ उस Product की Need ही ना हो,
●हो सकता है उसकी Communication Skill अच्छी ना हो,

ऐसी बहोत सी Problem हो सकती है जो उसे पता ही न चलती हो और Fully Chargeup हो कर काम कर रहा हो।

मान लीजिए की उसे Product की Knowledge ही ना हो लेकिन वो अपनी Communication Skill को सुधारने में लगा है तो क्या वो Sales कर आएगा? नहीं।

अगर उसे Product की पूरी जानकारी हो, Communication Skill भी अच्छी है लेकिन जिस Market में वो काम कर रहा है वो Market ही सही ना हो, तो भी Sales नहीं होगा।

कुछ ऐसा ही हमारे Life में भी हो रहा है, हम जो भी सोचते हैं बस लग जाते हैं उसके सभी पहलू को समझने की कोसिस ही नहीं करते।

हम बात करें Dreams की,
हम बात करें Health की,
हम बात करें Life-Style की,
हम बात करें Relationship की।
हर तरफ हम केवल सब कुछ Manage करने की कोसिस में हैं। अगर हम Manage करने के जगह इस बात पर ध्यान दें की Actually Problem क्या है और उसका Solution क्या है तो सब कुछ बहोत आसान हो सकता है।

This is the Formula of Achieve the Goal very Simply, Clearly & Shortly.