Friday, November 26, 2021

काम में आनंद की अनुभूति।

क्या काम करना ठीक है और क्या करना ठीक नहीं है ? 


यह के जटिल मुद्दा है क्योंकि एक ही काम किसी स्थिति में ठीक होता है तो किसी में खराब । तो इसका निर्णय कैसे करें।

इसका कोई एक सटिक स्केल तो नहीं है, लेकिन हाँ अगर एक चीज को हम स्केल मान लें तो काफी हद तक हम इस उलझन से बाहर आ सकते हैं। 


और वो स्केल है "आनंद की अनुभूति" अर्थात की अगर हम यह सुनिश्चित कर लें कि किस कार्य को करने से हमें पूरी तरह से  आनंद प्राप्त होता है और एक चीज और जोड़ लें कि जो कार्य हम कर रहे हैं उससे किसी व्यक्ति या वस्तु का डायरेक्ट या डायरेक्ट किसी भी तरह से कोई नुक्सान नहीं है तो वह कार्य सबसे अच्छा कार्य है, फिर उस काम को करने में हमें कितना भी समय लगे यह कोई चर्चा का विषय नहीं रह जाता। 

लेकिन समस्या कुछ और है, और वो ये है कि जिस काम को करने में हमें आनंद की अनुभूति होती है उसी काम से कुछ दिन बाद चिड़चिड़ाहट होने लगती है, और हम दूर भागते हैं। 

तो मतलब ये कि, कौन सा काम ठीक है और कौन सा नहीं ये कोई मुद्दा नहीं है बल्कि मुद्दा ये है कि जिस काम को हम कर रहे हैं उसमें निरन्तर उत्साह कैसे बनाये रखें।

Tuesday, January 19, 2021

लाइफ में सफल होने के लिए क्या चाहिए?

 सफल से मेरा मतलब है कि जो भी आप अपने जीवन में बनाना चाहते हैं, जो भी कुछ आप करना चाहते हैं। उसे पाने के लिए, उसे हासिल करने के लिए, उसे मूर्त रूप देने के लिए, आपके पास क्या होना चाहिए जो कि बहोत ही महत्वपूर्ण है।

 

हो सकता है पैसा,

हो सकता है सही लोग,

हो सकता है सही वातावरण,

हो सकता है अच्छा एडुकेशन,

हो सकता है अच्छा परिवार, (अच्छा परिवार मतलब की जो आपको हर तरह से सपोर्ट करता हो।)

अच्छा शरीर,

अच्छे लोग,

अच्छी संगत,

अच्छी टीम।


ऐसे तमाम चीजें हैं जिन्हें देख कर लगता है कि ये अगर न हो तो हम कभी सफल नहीं हो सकते। 

लेकिन एक चीज जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसके कारण ही लोग हमें जानते हैं, लोगों के अंदर हमारी इमेज है और वो है हमारा चरित्र, हमारा कैरेक्टर। 


वो कहते हैं ना कि अगर धन चला जाये तो वापस आ सकता है, हेल्थ चला जाये तो वापस आ सकता है लेकिन अगर चरित्र (कैरेक्टर) चला जाये तो वह वापस नहीं आ सकता। 

एक बात समझनी बहोत जरूरी है कि कैरेक्टर होता क्या है, क्या होता है चरित्र? 

"लोग जिस इमेज के साथ हमें देखते हैं, हमें जानते हैं वही हमारा करेक्टर है।" 

जैसे-) जैसे:- आप कुछ लोगों को जानते होंगे जो हर वक्त गुस्से में होते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो हमेशा झूठ बोलते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो एक बार कुछ बोल दिए तो उसे करके ही मानते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो किसी बात को ज्यादा ध्यान से नहीं सुनते न ही कोई चीज कि जिम्मेदारी लेते हैं

तो कुछ लोग होंगे जो अपने काम को पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से करते हैं। 

"ये सभी चीजें इंसान के चरित्र को, उसके करेक्टर को दर्शाती है।" 

ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिससे लोगो के चरित्र के बारे में आप जानते हैं, समझते हैं। 

इंसान को कभी भी थोड़े से या बड़े से ही फायदे के लिए अपने करेक्टर को नहीं गिराना चाहिए। 

आप बात करें अब्दुल कलाम जी की, रतन टाटा जी की या एलोन मास्क की। ये वो महान लोग हैं जिन्होंने कभी भी अपने आप से कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया चाहे जितनी भी बड़ी से बड़ी मुश्किल क्यों न आयी हो, इन लोगों ने किसी लालच में अपने ईमानदारी के कैरेक्टर को कभी नहीं छोड़ा।

आप जो भी हैं, जैसे भी हैं, बहोत बेहतरीन हैं। अगर खुद में कुछ बदलने की जरूरत लगे तो उसे बिल्कुल बदलें लेकिन अपने कैरेक्टर में रहते हुए, बिना अपने चरित्र को छोड़े। 


अगर जितने का कैरेक्टर अपने बना लिया जो बिल्कुल जीतेंगे, और अगर हारने के कैरेक्टर बन गया तो वही होगा जो आपकी मर्जी होगी।

Web:- https://www.trueleadergroup.com/