Thursday, June 11, 2020

आइये थोड़ा खुश होते हैं!

काल करे सो आज करें, आज करें सो अब।
पल में प्रलय होयगी बहुरि करोगे कब?



(हो सकता है इस दोहे में मुझसे इस्पेल्लिंग गलती हुआ हो, तो माफ कीजियेगा लेकिन आज इसके सूत्र को समझने का समय आ गया है)

कबीर दास का ये दोहा बचपन में पढ़ाया गया था, तब कुछ खास समझ नहीं आया, लेकिन ये भाविष्य के लिए पढ़ाया गया था अब महसूस होता है। न जाने कितने काम हम पेंडिंग में छोड़े पड़े हैं ये सोच कर की
एक दिन मैं ये करूँगा, एक दिन मैं वो करूँगा
लेकिन सच्ची तो ये है कि उस एक दिन का मतलब है कोई भी दिन नहीं।

सोचिये हम कितने लोगों का दिल दुखाये होंगे, कितने लोगों को तकलीफ दिए होंगे, मन भी करता है जाकर माफ़ी मांग लें, लेकिन सोचते हैं। "एक दिन बोलेंगे"।

जी करता है कि कुछ अच्छा करें, कुछ लेकर आएं परिवार के लिए, बच्चों के लिए, मां के लिए, भाई के लिए लेकिन फिर सोचते हैं "एक दिन ऐसा करेंगे" और शायद एक दिन-एक दिन करते-करते सालों बीत गए लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया।

उस दोस्त को देख कर अभी भी मुह मोड़ लेते हैं जिसके बिना हम कुछ खाते तक नहीं थे, जी करता है बात करें, और ये भी पता है कि सामने वाला भी यही सोचता है लेकिन "एक दिन ऐसा कर लेंगें" सोच कर सालों से एक सुंदर रिश्ते को छोड़े पड़े हैं।

आज खुद से एक वादा कीजिये, आइये कम से कम एक रिस्ते को जिंदा करते हैं, अगर हमारी गलती नहीं है फिर भी अगर सॉरी बोल देने से सब कुछ ठीक हो सकता है तो सॉरी बोलते हैं ना, कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि अच्छा होगा।
घर के जो बड़े हैं शायद उनका पैर छुए सालों बीत गए तो आइए आज ऐसा करते हैं।

आइये आज अपने अध्यापक को, भाई-बहन को दोस्त को, जीवन साथी को
आई लव यू बोलते हैं ना,

मुझे पता है आपकी आंखें थोड़ी नम है, फिर ये भी सोच रहे हैं कैसे करूँ, फिर लगेगा कि ये सब फालतू की बात है,  सोचिये अब तक कितना हम सब फालतू का काम कर चुके है, तो आज एक और सही, मैं कम से कम पांच लोगों को आई एम सॉरी और आई लव यू बोलूँगा आंसू आएंगे तो रो लूंगा लेकिन फिर बहोत अच्छा लगेगा। अगर आपको ठीक लगे, तो बताइयेगा जरूर अपने कितने लोगों के साथ ऐसा किया, आइये आज मन और दिमाक दोनों को थोड़ा सा सांत करते हैं।

आइये आज दिल खोल कर जीते हैं, फिर से खुशियों को जोड़ने की कोशिस करते हैं, आइये थोड़ा प्यार बाटते हैं।

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