Saturday, November 7, 2020

बुध्दि और विवेक में अंतर।

बुद्धि- यह एक मानसिक प्रबलता को दर्शाती है, मतलब की जब हम परिस्थिति के अनुसान कुछ कार्य करते हैं परंतु इस बात पर गौर नहीं करते कि इसका रिजल्ट क्या होगा, बस कार्य को कर देते हैं, तब हम केवल बुद्धि का इस्तेमाल किये हुए होते हैं। 

बुध्दि से काम लेना मतलब कि उत्साहित होकर एक्शन करना, जैसे की जब कोई व्यक्ति कुछ काम को करता है, और रिजल्ट नेगेटिव आता है तो लोग कहते हैं कि 

"देखो ज्यादा बुद्धि लगा दिया" या बोलते हैं,

'बहोत बुध्दिमान बन रहा था अब समझ आएगा'

लेकिन जब व्यक्ति अपने विवके का इस्तेमाल करके कोई कार्य करता है तो इस बात की मउम्मीद ज्यादा होती है कि वह कार्य सही तरीके से होगा औऱ ऐसा कार्य करने वाले को लोग कहते हैं 

'वाह! ये व्यक्ति अपने विवेक का इस्तेमाल करके आज उचाईयों पर है'।

जब कोई काम बिगड़ जाता है तो बड़े लोग कहते हैं कि

'काश बुद्धि के साथ साथ विवके का भी इस्तेमाल करते तो ऐसा नहीं होता।'



यह इस प्रकार से है कि मान लीजिए कि आप एक कार चला रहे हैं, अब उसका जो एक्ससेलेटर है वो बुध्दि है और स्टेरिंग विवके है, मतलब की बुद्धि किसी कार्य में गति प्रदान करती है और विवके दिशा निर्धारित करती है और दोनों का ही अपना महत्वपूर्ण योगदान है।

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि विवेक हमारे एक्सपेरिंस से आता है और बुध्दि हमारे इनफार्मेशन से, जो आज तक हम इकट्ठा किये हुए हैं। हमारे जीवन में दोनों ही चीजें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 


अतः बुध्दि और विवके इतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्ससाइड।

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