Monday, June 13, 2022

Friday, November 26, 2021

काम में आनंद की अनुभूति।

क्या काम करना ठीक है और क्या करना ठीक नहीं है ? 


यह के जटिल मुद्दा है क्योंकि एक ही काम किसी स्थिति में ठीक होता है तो किसी में खराब । तो इसका निर्णय कैसे करें।

इसका कोई एक सटिक स्केल तो नहीं है, लेकिन हाँ अगर एक चीज को हम स्केल मान लें तो काफी हद तक हम इस उलझन से बाहर आ सकते हैं। 


और वो स्केल है "आनंद की अनुभूति" अर्थात की अगर हम यह सुनिश्चित कर लें कि किस कार्य को करने से हमें पूरी तरह से  आनंद प्राप्त होता है और एक चीज और जोड़ लें कि जो कार्य हम कर रहे हैं उससे किसी व्यक्ति या वस्तु का डायरेक्ट या डायरेक्ट किसी भी तरह से कोई नुक्सान नहीं है तो वह कार्य सबसे अच्छा कार्य है, फिर उस काम को करने में हमें कितना भी समय लगे यह कोई चर्चा का विषय नहीं रह जाता। 

लेकिन समस्या कुछ और है, और वो ये है कि जिस काम को करने में हमें आनंद की अनुभूति होती है उसी काम से कुछ दिन बाद चिड़चिड़ाहट होने लगती है, और हम दूर भागते हैं। 

तो मतलब ये कि, कौन सा काम ठीक है और कौन सा नहीं ये कोई मुद्दा नहीं है बल्कि मुद्दा ये है कि जिस काम को हम कर रहे हैं उसमें निरन्तर उत्साह कैसे बनाये रखें।

Tuesday, January 19, 2021

लाइफ में सफल होने के लिए क्या चाहिए?

 सफल से मेरा मतलब है कि जो भी आप अपने जीवन में बनाना चाहते हैं, जो भी कुछ आप करना चाहते हैं। उसे पाने के लिए, उसे हासिल करने के लिए, उसे मूर्त रूप देने के लिए, आपके पास क्या होना चाहिए जो कि बहोत ही महत्वपूर्ण है।

 

हो सकता है पैसा,

हो सकता है सही लोग,

हो सकता है सही वातावरण,

हो सकता है अच्छा एडुकेशन,

हो सकता है अच्छा परिवार, (अच्छा परिवार मतलब की जो आपको हर तरह से सपोर्ट करता हो।)

अच्छा शरीर,

अच्छे लोग,

अच्छी संगत,

अच्छी टीम।


ऐसे तमाम चीजें हैं जिन्हें देख कर लगता है कि ये अगर न हो तो हम कभी सफल नहीं हो सकते। 

लेकिन एक चीज जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, जिसके कारण ही लोग हमें जानते हैं, लोगों के अंदर हमारी इमेज है और वो है हमारा चरित्र, हमारा कैरेक्टर। 


वो कहते हैं ना कि अगर धन चला जाये तो वापस आ सकता है, हेल्थ चला जाये तो वापस आ सकता है लेकिन अगर चरित्र (कैरेक्टर) चला जाये तो वह वापस नहीं आ सकता। 

एक बात समझनी बहोत जरूरी है कि कैरेक्टर होता क्या है, क्या होता है चरित्र? 

"लोग जिस इमेज के साथ हमें देखते हैं, हमें जानते हैं वही हमारा करेक्टर है।" 

जैसे-) जैसे:- आप कुछ लोगों को जानते होंगे जो हर वक्त गुस्से में होते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो हमेशा झूठ बोलते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो एक बार कुछ बोल दिए तो उसे करके ही मानते हैं।

आप कुछ लोग को जानते होंगे जो किसी बात को ज्यादा ध्यान से नहीं सुनते न ही कोई चीज कि जिम्मेदारी लेते हैं

तो कुछ लोग होंगे जो अपने काम को पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से करते हैं। 

"ये सभी चीजें इंसान के चरित्र को, उसके करेक्टर को दर्शाती है।" 

ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिससे लोगो के चरित्र के बारे में आप जानते हैं, समझते हैं। 

इंसान को कभी भी थोड़े से या बड़े से ही फायदे के लिए अपने करेक्टर को नहीं गिराना चाहिए। 

आप बात करें अब्दुल कलाम जी की, रतन टाटा जी की या एलोन मास्क की। ये वो महान लोग हैं जिन्होंने कभी भी अपने आप से कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया चाहे जितनी भी बड़ी से बड़ी मुश्किल क्यों न आयी हो, इन लोगों ने किसी लालच में अपने ईमानदारी के कैरेक्टर को कभी नहीं छोड़ा।

आप जो भी हैं, जैसे भी हैं, बहोत बेहतरीन हैं। अगर खुद में कुछ बदलने की जरूरत लगे तो उसे बिल्कुल बदलें लेकिन अपने कैरेक्टर में रहते हुए, बिना अपने चरित्र को छोड़े। 


अगर जितने का कैरेक्टर अपने बना लिया जो बिल्कुल जीतेंगे, और अगर हारने के कैरेक्टर बन गया तो वही होगा जो आपकी मर्जी होगी।

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Wednesday, November 18, 2020

How to talk with a person in business ?


        


Business में हमें हमेशा नये लोगों से मिलना होता है, कुछ Deals पूरे होते हैं कुछ नहीं होते। कभी कभी तो ऐसा होता है कि कोई भी Deal पूरा नहीं होता,  लोग हमारे साथ नहीं जुड़ते लेकिन उसी काम के लिए किसी और से जुड़ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है ये सोचने वाली बात है। 


होता ये है कि जब Deal पूरी नहीं होती तो उसके पीछे हमारे बात चीत करने के तरीका कैसा था,  उस पर निर्भर करता है। 

Business Talk का एक अलग तरीका होता है, कुछ Steps Follow करने होते हैं अगर हम इस Steps को Follow करें तो Deal पूरी होने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ सकती है। 

◆ जब किसी से बात करें तो सामने वाले को महसूस होना चाहिए कि आप उस Field के बेहतरीन इंसान हैं जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं।

◆ सामने वाले को बिल्कुल  Comfortable महसूस होना चाहिए,

◆ सामने वाले के किसी Problem को Solve करने की दिशा में बात करें, उसे लगना चाहिए आपके साथ जुड़ने पर उसकी कोई बड़ी समस्या सुलझाने वाली है।

◆ सामने वाले के किसी Emotional Point को जरूर छुएँ वो भी इस प्रकार से की उसे बुरा न लगे।

◆ सामने वाले को एक Question दे कर बात किlose कर दें। 

ये 5 Step Formula अगर हम Apply करें तो अपने Business में, एक नई ऊंचाई को छू सकते हैं।



आप सभी Group Family Member Please इसे आज किसी एक Person पर Apply करें और अपना अनुभव यहां हमारे साथ Share करें। 

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Saturday, November 7, 2020

बुध्दि और विवेक में अंतर।

बुद्धि- यह एक मानसिक प्रबलता को दर्शाती है, मतलब की जब हम परिस्थिति के अनुसान कुछ कार्य करते हैं परंतु इस बात पर गौर नहीं करते कि इसका रिजल्ट क्या होगा, बस कार्य को कर देते हैं, तब हम केवल बुद्धि का इस्तेमाल किये हुए होते हैं। 

बुध्दि से काम लेना मतलब कि उत्साहित होकर एक्शन करना, जैसे की जब कोई व्यक्ति कुछ काम को करता है, और रिजल्ट नेगेटिव आता है तो लोग कहते हैं कि 

"देखो ज्यादा बुद्धि लगा दिया" या बोलते हैं,

'बहोत बुध्दिमान बन रहा था अब समझ आएगा'

लेकिन जब व्यक्ति अपने विवके का इस्तेमाल करके कोई कार्य करता है तो इस बात की मउम्मीद ज्यादा होती है कि वह कार्य सही तरीके से होगा औऱ ऐसा कार्य करने वाले को लोग कहते हैं 

'वाह! ये व्यक्ति अपने विवेक का इस्तेमाल करके आज उचाईयों पर है'।

जब कोई काम बिगड़ जाता है तो बड़े लोग कहते हैं कि

'काश बुद्धि के साथ साथ विवके का भी इस्तेमाल करते तो ऐसा नहीं होता।'



यह इस प्रकार से है कि मान लीजिए कि आप एक कार चला रहे हैं, अब उसका जो एक्ससेलेटर है वो बुध्दि है और स्टेरिंग विवके है, मतलब की बुद्धि किसी कार्य में गति प्रदान करती है और विवके दिशा निर्धारित करती है और दोनों का ही अपना महत्वपूर्ण योगदान है।

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि विवेक हमारे एक्सपेरिंस से आता है और बुध्दि हमारे इनफार्मेशन से, जो आज तक हम इकट्ठा किये हुए हैं। हमारे जीवन में दोनों ही चीजें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 


अतः बुध्दि और विवके इतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्ससाइड।

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Saturday, August 1, 2020

हर वक्त दिमाक चलता रहता है?


आज तक मुझसे बहोत से लोग मिले और एक बोलते हैं कि  "मेरा दिमाक सही जगह पर नहीं टिकता", हर वक्त माइंड में कुछ न कुछ चलते रहता है, कुछ अच्छा तो कुछ बुरा लेकिन कहीं रुकता नहीं है, मैं शांत नहीं रह पाता।

मैं जानना चाहता हूं कि आपका दिल अभी इस वक्त धड़क रहा है कि नहीं? आप बोलोगे धड़क रहा है।

अगर मैं पूछूँ कि क्या आपकी दिल की धड़कन ठीक चल रही है?
अगर मैं पूछूँ कि आपका ब्लडप्रेशर ठीक है कि नहीं?
अगर मैं पूछूँ कि आपका सही तरीके से खून का दौरा हो रहा है कि नहीं?
आपका पाचन सही चल रहा है की नहीं?
तो आपका उत्तर होगा कि हाँ सब कुछ ठीक चल रहा है।

अगर मैं ये पूछूँ की अगर इनमें से कुछ चीजें चलना बंद हो जाये तो आप क्या करेंगें? तो उत्तर आएगा कि फिर मैं डॉक्टर को दिखाऊंगा। क्योंकि इस परिस्थिति में मैं सामान्य नहीं रहूंगा, मुझे बीमार हो जाऊंगा।



तो मैं ये जानना चाहता हूँ कि फिर आपको केवल अपने दिमाक से दुश्मनी क्यों है? क्योंकि जैसे दिल का, पाचन क्रिया का, ब्लड का अपना काम होता है, वैसे ही दिमाक का भी काम होता है, चलते रहना। लेकिन यहां बदलाव ये है कि दिमाक में क्या चल रहा है और कैसे चल रहा है इसका चुनाव हम कर सकते हैं, इसे हम हर एक सेकंड मॉनीटर कर सकते हैं। तो समस्या ये नहीं है कि दिमाक चल रहा है, समस्या ये है कि क्या चल रहा है।

तो हमें दिमाक के चलने को नहीं बदलना है, क्या चल रहा है उसे अपने हिसाब से बदल लें तो फिर कोई समस्या नहीं है, तो बात आती है की कैसे इस चीज को कंट्रोल करें कि दिमाक में क्या आये और क्या नहीं।

सच्चाई ये है कि जिस तरह से हमारे शरीर के बाकी अंग समय समय पर अपनी स्थिति को बदलते रहते हैं।
जैसे कभी बीपी कम तो कभी ज्यादा हो जाती है,
कभी पाचन ठीक तो कभी खराब हो जाता है,
वैसे ही दिमाक का भी बदलाव चलता रहता है।

हमें सिर्फ ये देखना है की 24 घंटे के समय में अधिक समय तक हम क्या सोचते रहते हैं, हमारा दिमाक किस दिशा में है और कितना है। और इसे समझने के लिए महत्वपूर्ण चीज ये है कि हम कितना जागरूक हैं अपनी सोच को लेकर।
अगर हमारे पास कोई महान लक्ष्य है जो मानव जाति के साथ साथ इस संसार के लिए भी ठीक है और हम उसके प्रति जागरूक हैं, तो निश्चित रूप से हमें कोई विचार बहोत परेसान और उदास नहीं कर सकती और हम आनंद के साथ अपना जीवन बिता सकते हैं बिना हैरान और परेशान हुए।

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Thursday, June 11, 2020

आइये थोड़ा खुश होते हैं!

काल करे सो आज करें, आज करें सो अब।
पल में प्रलय होयगी बहुरि करोगे कब?



(हो सकता है इस दोहे में मुझसे इस्पेल्लिंग गलती हुआ हो, तो माफ कीजियेगा लेकिन आज इसके सूत्र को समझने का समय आ गया है)

कबीर दास का ये दोहा बचपन में पढ़ाया गया था, तब कुछ खास समझ नहीं आया, लेकिन ये भाविष्य के लिए पढ़ाया गया था अब महसूस होता है। न जाने कितने काम हम पेंडिंग में छोड़े पड़े हैं ये सोच कर की
एक दिन मैं ये करूँगा, एक दिन मैं वो करूँगा
लेकिन सच्ची तो ये है कि उस एक दिन का मतलब है कोई भी दिन नहीं।

सोचिये हम कितने लोगों का दिल दुखाये होंगे, कितने लोगों को तकलीफ दिए होंगे, मन भी करता है जाकर माफ़ी मांग लें, लेकिन सोचते हैं। "एक दिन बोलेंगे"।

जी करता है कि कुछ अच्छा करें, कुछ लेकर आएं परिवार के लिए, बच्चों के लिए, मां के लिए, भाई के लिए लेकिन फिर सोचते हैं "एक दिन ऐसा करेंगे" और शायद एक दिन-एक दिन करते-करते सालों बीत गए लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया।

उस दोस्त को देख कर अभी भी मुह मोड़ लेते हैं जिसके बिना हम कुछ खाते तक नहीं थे, जी करता है बात करें, और ये भी पता है कि सामने वाला भी यही सोचता है लेकिन "एक दिन ऐसा कर लेंगें" सोच कर सालों से एक सुंदर रिश्ते को छोड़े पड़े हैं।

आज खुद से एक वादा कीजिये, आइये कम से कम एक रिस्ते को जिंदा करते हैं, अगर हमारी गलती नहीं है फिर भी अगर सॉरी बोल देने से सब कुछ ठीक हो सकता है तो सॉरी बोलते हैं ना, कुछ नहीं बिगड़ेगा बल्कि अच्छा होगा।
घर के जो बड़े हैं शायद उनका पैर छुए सालों बीत गए तो आइए आज ऐसा करते हैं।

आइये आज अपने अध्यापक को, भाई-बहन को दोस्त को, जीवन साथी को
आई लव यू बोलते हैं ना,

मुझे पता है आपकी आंखें थोड़ी नम है, फिर ये भी सोच रहे हैं कैसे करूँ, फिर लगेगा कि ये सब फालतू की बात है,  सोचिये अब तक कितना हम सब फालतू का काम कर चुके है, तो आज एक और सही, मैं कम से कम पांच लोगों को आई एम सॉरी और आई लव यू बोलूँगा आंसू आएंगे तो रो लूंगा लेकिन फिर बहोत अच्छा लगेगा। अगर आपको ठीक लगे, तो बताइयेगा जरूर अपने कितने लोगों के साथ ऐसा किया, आइये आज मन और दिमाक दोनों को थोड़ा सा सांत करते हैं।

आइये आज दिल खोल कर जीते हैं, फिर से खुशियों को जोड़ने की कोशिस करते हैं, आइये थोड़ा प्यार बाटते हैं।